आवारगी
बस मेरे ख़यालात हैं.......... कुछ दिल की बातें हैं......... कुछ मेरी
Thursday, May 3, 2012
साहिब MERA
साहिब मेरा देखता रहा
बन्दे सारे बटते गए
रोकने को भी हाथ न उठा
यूँ ही सारे कटते गए
ढूंढने चला जो मैं उसे
मिले न फिर उसके निशां
कहते हैं के जागीर में इनके
उसके निशां खोते गए !!!!
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