Thursday, May 3, 2012

ख्वाबों के घरोंदे

हुकूमत-इ-नादाँ से पूछो तो कोई

इनसे मुझे मिला क्या है

कोई इन बन्दों से पूछो तो सही

मुझसे इनका गिला क्या है

चुप चाप हर मंज़र देखता रहा

खामोश लफ़्ज़ों को सुनता रहा

वो बस वायेदा करते रहे

मैं ख्वाबों के घरोंदे बनाता रहा !!!!!


Copyright (c) Ashit Ranjan Panigrahi 2011

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