Tuesday, October 14, 2014

मेरी दौलत की कुछ यूं नुमाइश हुई

हर कोई आके मेरा दिल  लूट गया ......................... 
यह दुनिया है.... 

दिन बदलता है, रात बदलती है ,

लोग बदलते हैं, रिश्ता बदलता है 

यह दुनिया है मेरे प्यारे,

यह दुनिया है 

कभी शीतल छाओं है 

कभी निर्मम ज्वाला है 

न जानो तो अमृत है 

जान गए तो विष का प्याला है।। 

Sunday, October 5, 2014

दुश्मनी ख़ुदा से



कुछ यूँ ख़ुदा से मैं दुश्मनी निभाता हूँ 

सजदे में सर झुकता है, फरियाद न कोई करता हूं।।


तोड़ता है दिल मेरा बार बार रुलाने  लिए 

मैं हरबार गम को हंसकर सिने से लगाता हूं ।।


ठुकराई है मेरी मिन्नतें ज़िन्दगी भर 

मैं उसी के दर पे, उसकी बेरहमी गिनाता हूं ।।


अब तो साफ़ हो चाला है रिश्ता हमारा 

वो अपनी खुदाई दिखाता है, मैं इंसानियत दिखाता हूं ।।


मुक़ाबला दोनों में है बराबर का अबतक, देखते हैं 

पहले वो हार मानता है, या मैं हार मानता हूं ।।



Copyright (C) Asit Ranjan Panigrahi 2014.


Saturday, October 4, 2014

महंगा हुआ मेरा ग़म



शराब भी न खरीद सकी, गम कुछ यूँ महंगा हो गया

हाथ में पैमाना उठाया हुआ था, आंसू है के छलक गया।।


महफ़िल में वो मिले,  और मुंह फेर लिए हमसे

चलो आज की रात नए गम का  बहाना हो गया ।।


बेमानी सी चंद सांसें बची है अब इस दिल में

मगर अपना तो जहान में सफर ही पूरा हो गया ।।


वो करते रहते हैं आज भी वफ़ा के वादे

कोई कहदो उन्हें, येः झूट अब पुराना हो गया ।।


दर्द तूने दिए हैं रब मुझे, हर दर्द के ऊपर

कभी लगा न होगा तुझे, के कुछ ज्यादा हो गया ?



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