परवाज़ के पीछे दौड़ता है कोई
चाँद हथेली पे रखता है कोई
हसलों की बातें करता है कोई
अरमानों की कहानी सुनाता है कोई
आगाज़ होता है कुछ यूँ दिन उसका
कुछ इसकदर दिन बुझाता है कोई
खुली आँखों से सपने देखता है कोई
शायद पतझड़ से उसकी, मुलाकात नहीं हुई !!
Copyright (c) Ashit Ranjan Panigrahi 2012
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