तारीफ़ उसकी
कहा उसने की तारीफ करो मेरी कुछ इसकदर
शमा भी शर्माजाए अपनी अदाओं पर
मैंने कहा क्या करूं मैं तारीफ तेरी
तेरे मुज्जस्सिम के सामने तो ख़ुदा भी लाज़वाब हो गया !!
शेहेर में मरीज़-ऐ -इश्क़ बढ़ गए
मैखानो में हम्प्याले ,
सूरत-ऐ-यार ज़रा जो बेनक़ाब हो गया !!
न बैद , न हाकिम , न दवा , न दुआ
कुछ और काम आया
बस तुझसे नज़रें मिलीं और दिल लाइलाज हो गया !!
Copyright (C) Asit Ranjan Panigrahi 2014.
कहा उसने की तारीफ करो मेरी कुछ इसकदर
शमा भी शर्माजाए अपनी अदाओं पर
मैंने कहा क्या करूं मैं तारीफ तेरी
तेरे मुज्जस्सिम के सामने तो ख़ुदा भी लाज़वाब हो गया !!
शेहेर में मरीज़-ऐ -इश्क़ बढ़ गए
मैखानो में हम्प्याले ,
सूरत-ऐ-यार ज़रा जो बेनक़ाब हो गया !!
न बैद , न हाकिम , न दवा , न दुआ
कुछ और काम आया
बस तुझसे नज़रें मिलीं और दिल लाइलाज हो गया !!
Copyright (C) Asit Ranjan Panigrahi 2014.
No comments:
Post a Comment