Tuesday, September 30, 2014

तारीफ़ उसकी 


कहा उसने की तारीफ करो मेरी कुछ इसकदर

शमा भी शर्माजाए अपनी अदाओं पर

मैंने कहा क्या करूं  मैं तारीफ तेरी

तेरे मुज्जस्सिम के सामने तो ख़ुदा भी लाज़वाब हो गया !!


शेहेर में मरीज़-ऐ -इश्क़ बढ़ गए

मैखानो में हम्प्याले ,

सूरत-ऐ-यार ज़रा जो बेनक़ाब हो गया !!


न बैद , न हाकिम , न दवा , न दुआ

कुछ और काम आया

 बस तुझसे नज़रें मिलीं और दिल लाइलाज हो गया !!


Copyright (C) Asit Ranjan Panigrahi 2014.

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