ज़माने का डर था
अम्मा, बाबा का डर था
इतना डरा हुआ सा तेरा दिल
प्यार कैसे कर सकता था
हिम्मत से एक बार हाँ केह्देति
मंज़िल सामने थी,
किनारा मिल सकता था
पर तूने तो किसी और कश्ती में
दरिया पार कर लिया
हम रेहगये तलातुम में सोचते
कुछ येः भी हो सकता था
कुछ यूं भी हो सकता था !!
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