क्यों छोड़चाला तू बस्ती को
क्यों मुंह मोड़ लिया हक़ीक़त से
सुनले के दर्द सा उठता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
वो बीज जो तूने बोए थे
वो फसलें थी सब नफरत की
आ देख के उनकी लपटों से
खेत येः बंजर बनता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
क्यों मुंह मोड़ लिया हक़ीक़त से
सुनले के दर्द सा उठता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
वो बीज जो तूने बोए थे
वो फसलें थी सब नफरत की
आ देख के उनकी लपटों से
खेत येः बंजर बनता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
कभी किसीका घर तोड़ कर
क्या राम वहां पर रहता है
तूने बांटे इंसानो को
फिर मस्जिद का नाम क्यों लेता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
मेरी रोटियां बेच कर
महल अपने बनवाता है
सपनो से भी कतराता हूँ
सपना भी महंगा होता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
क्या आसमान फट पड़ा था
जब मैंने दिल की कही थी
क्यों अधि रात, मेरे हक़ पे लाठियां बरसाता है
तू कहता है सब ठीक है मगर
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
येः धुआं फिर क्यों उठता है !!
येः नासूर का दर्द है मेरा
तू बातों से क्यों सहलाता है
आ देख के चूल्हा भूका है
वादों से क्यों फुसलाता है
ग़ुलामी वो अच्छी तेरे हुकूमत से
हर साँस चीख़ यह कहता है
तू कहता है सब ठीक है फिरभी
येः धुआं इसलिये उठता है
येः धुआं इसलिये उठता है !!
Copyright (C) Asit Ranjan Panigrahi 2013
येः धुआं इसलिये उठता है
येः धुआं इसलिये उठता है !!
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