Wednesday, April 6, 2016

फिर से वही दास्तां - ए - यार आ गया
बेबाकी से ज़ुबां पे तेरा नाम आ गया


हुनर-वर ना  इतने के हम सहलें
याद के साथ जो ये अजाब आ गया


बड़ा वीरान सा लग रहा है ये मकान हमें
लौट कर आए तो लगा किसीका  मज़ार आ गया




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