दिन गुज़र जाता है मग़र करार नहीं मिलता
इस भीड़ में कोई चेहरा तेरे चेहरे से नहीं मिलता
आईना भी मायूश खड़ा है आज
मेरे अक्स से जो मेरा चेहरा नहीं मिलता
कभी जो हुआ करते थे रौनक- ए - महफ़िल हमारे
आज यादों में भी उनका साया नहीं मिलता
कहते थे ज़िन्दगी जिन निगाहों को कभी
आज उस चेहरे का कहीं दीदार नहीं मिलता
ज़िन्दगी है, सांसें हैं, जी रहे हैं
बस कभी चैन नहीं मिलता, कभी करार नहीं मिलता
आशित ये खाव्ब फरेबी हैं इतना जानले
कभी ये तुझे नहीं मिलते, कभी तू इनको नहीं मिलता
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