तू आदमी है पहले इंसान बन
फिर ख़ुदा और मज़हब बात करना
देखि हैं कई सियासतें , देखि हैं कई हुकूमतें
तू पहले मेरी सुन, फिर अपनी बात करना
किसने दिया है हक़ तुझे, क्यों बना है वाइज़ यहां
पहले अपना घर बसा, फिर ज़माने की बात करना
भैया सभी उल्झे हैं ज़िन्दगी के झमेलों में
आज रोटी की करले, कल मज़हब की बात करना
तू ना होगा तो क्या मिलेगा नहीं नहीं खुदा मुझे
तू अपनी मंज़िल ढूंढ फिर मेरे रस्ते की बात करना
खुदा नहीं मिलता कभी काबा में कभी काशी में
खुदा की चाह है तो पहले इन्सानो की बात करना
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