Saturday, October 4, 2014

महंगा हुआ मेरा ग़म



शराब भी न खरीद सकी, गम कुछ यूँ महंगा हो गया

हाथ में पैमाना उठाया हुआ था, आंसू है के छलक गया।।


महफ़िल में वो मिले,  और मुंह फेर लिए हमसे

चलो आज की रात नए गम का  बहाना हो गया ।।


बेमानी सी चंद सांसें बची है अब इस दिल में

मगर अपना तो जहान में सफर ही पूरा हो गया ।।


वो करते रहते हैं आज भी वफ़ा के वादे

कोई कहदो उन्हें, येः झूट अब पुराना हो गया ।।


दर्द तूने दिए हैं रब मुझे, हर दर्द के ऊपर

कभी लगा न होगा तुझे, के कुछ ज्यादा हो गया ?



Copyright (C) Asit Ranajn Panigrahi 2014.


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